आधारतः ये रुबाईयाँ स्वर्गीय श्री हरिवंश राय बच्चन (जो मेरे पूज्य आशा स्रोत और प्रेरक है..) के द्वारा लिखित 'मधुशाला' पर आधारित है...|
इसकी भूमिका में मैंने एक हल्का नयापन लाने की कोशिश की है | इसमें मैंने कुछ अपने दिल की और कुछ अन्यत्र से संकलित की हुई रचनाओं को लिपिबद्ध किया है | आशा है आप सबों को पसंद आएगी...और उम्मीद करता हूँ,की आप अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों द्वारा मुझे प्रोत्साहन देते रहेंगे... धन्यवाद्...!
आपके ध्यान में निरंतर
आपका..
दिलवाला...
उपाध्याय जी अपनी लेखनी को विराम क्यों ?? जब यहाँ आये तो कुछ करिए कम से कम पढ़िए अनुसरण करें कुछ न कुछ लिखें ..
ReplyDeleteसुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५